रिपोर्ट: आयुष गुप्ता/ हिमांशु तिवारी)
कोरोना संक्रमण के चल रहे दौर में मरीजों के इलाज में डाक्टरों के सामने भारी संकट खड़ा हो है। इस मुश्किल हालात में सबसे ज्यादा इलाज,देखभाल व सावधानी बरतने की जरुरत जितनी बुजुर्गों व नौजवानों को है,उससे कहीं अधिक गर्भवती महिलाओं की देखरेख व सर्तक रहने की जरुरत है। ऐसा इसलिए कि आने वाले समय में कोरोना की तीसरी लहर से प्रभावित होने वाले बच्चों को बचाना हमारी जिम्मेदारी है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए हमारी जिम्मेदारी गर्भवती महिलाओं के प्रति भी ओर बढ़ने वाली है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए प्रसूताओं को डाक्टरों की सलाह पर कोविड टीकाकरण जरुर लगवा लेना चाहिए। यह बातें संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज लखनऊ (एसजीपीआई) के मातृ और प्रजनन स्वास्थ्य विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ.संगीता यादव ने कही। उन्होंने कहा कि भले ही हम कोरोना की पहली और दूसरी लहर से लगभग निकल आए हो लेकिन आने वाले समय में तीसरी लहर की चुनौती के लिए हमें अभी से सावधान रहना होगा। क्योंकि अगर इस लहर में बच्चों को अपने चपेट में लिया तो गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इसका प्रतिकूल असर देखने को मिल सकता है। ऐसे में हमें गर्भवती महिलाओं के देखभाल के साथ सावधानियों को अपनाना होगा ताकि मां के साथ—साथ होने वाले शिशु को भी संक्रमित होने के बावजूद स्वस्थ, तंदुरूस्त रखा जा सके।
अंतिम दो माह में महामारी का रहता है ज्यादा खतरा : डॉ. संगीता ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में शुरुआत के 28 हफ्तों में खतरा कम रहता है,जबकि आखिर के आठ या नवें महीने के समय महिलाओं में महामारी का खतरा ज्यादा रहता है। जिसके बचाव के लिए उन्हें ज्यादा भीड़—भाड़ वाली जगह में नहीं जाना चाहिए। किसी कारणवश निकलना पड़े तो भी पूरी सुरक्षा के साथ निकले। मास्क,सैनिटाइजर आदि का प्रयोग करते हुए सामाजिक दूरी का भी पालन करें तभी इससे बचाव किया जा सकता है।
खानपान का रखे विशेष ख्याल:
डॉक्टर का कहना है कि महामारी के दौर में थर्ड स्टेज की प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रेगनेंसी के समय खाने पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। विशेषकर बाहर का खाना और जंक फूड आदि से बहुत दूर रहें। घर का बना शुद्ध और कम तैलीय खाना खाएं,फल आदि का ज्यादा सेवन करें। फलों में प्रोटीन के साथ विटामिन सी की मात्रा भी प्रचुर मात्रा पाई जाती है। प्रोटीन वाली डाइट में हरी सब्जियों का ज्यादा सेवन करना चाहिए। उपलब्धता को देखते हुए डाइटिशियन से परामर्श लेकर भोजन करना चाहिए। भोजन के साथ प्रेग्नेंट महिलाओं को दवाओं में कैल्शियम,आयरन,फोलिक एसिड आदि दवाइयां डॉक्टर के परामर्श अनुसार समय पर लेना अनिवार्य है।
शिशु में दिखी जन्मजात खराबी,समय पूर्व डिलीवरी में खतरा डॉ. संगीता का कहना है कि कोविड कॉल में अभी तक के आंकड़ों में यह देखा गया है कि बच्चे में कोई जन्मजात खराबी नहीं पाई गई है। जिसमें बच्चों की बनावट आदि की कोई खराबी सामने नहीं आई है। लेकिन गर्भवती महिलाओं में अगर किसी कारण 28 हफ्तों के बाद संक्रमण के लक्ष्ण आदि दिखे या हो जाए तो टाइम से पहले डिलीवरी होने का खतरा रहता है इसका दूसरा असर डिलीवरी के समय बच्चों में उनकी धड़कन का धीमा हो जाना या रुक जाना आदि का डर बना रहता है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए ऐसी डिलीवरी में ज्यादा ध्यान देना पड़ता है।
स्तनपान कराने वाली महिलाएं लगवा सकती हैं वैक्सीन : डॉक्टर ने बताया कि स्तनपान कराने वाली महिलाएं में कोरोना पाया जाता है या नहीं भी है तो भी वह अब वैक्सीन लगवा सकती है जिससे उन्हें खुद और बच्चों को भी प्रोटेक्शन मिलेगी। साथ ही इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाएगा। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ फैमिली वेलफेयर ने यह अप्रूव कर दिया है कि जो भी महिलाएं स्तनपान करा रही हैं वह वैक्सीन लगवा सकती है यह वैक्सीन उनके लिए आवश्यक कर दी है।
समस्या होने पर ले सकते हैं ई—परामर्श:
डॉक्टर ने बताया कि गर्भावस्था में जिन महिलाओं को समय से पहले दिक्कत व अन्य समस्याएं होती हैं तो वह अस्पताल की ओर से शुरु की गई ई—परामर्श (इओपीडी) पर विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि ई—परामर्श से हम बाहर जाने से बच जाएंगे जो गर्भावस्था में अधिक महत्वपूर्ण रखता है। इस अवस्था में बाहर जाने से बचने के लिए ही परामर्श और फोन नंबर की सुविधा दी गई है। जिसमें व्हाट्सएप के जरिए मरीज की सारी जांच रिपोर्ट आदि को मंगवा कर अन्य सह डाक्टरों व सलाहकारों आदि से परामर्श करके जरूरत के अनुसार दवाइयां बता दी जाती हैं या फिर उन्हें एडमिट होने के लिए बुला लिया जाता है। यह सुविधा ई—परामर्श पर सुबह 9:30 से दोपहर 2:30 बजे तक 0522-2495604 नम्बर पर बात कर सकते हैं।
बीमार बच्चों को अधिक प्रभावित करेगी तीसरी लहर :
डा संगीता ने बताया कि,इस समस्या का प्रभाव उन बच्चों में ज्यादा दिखाई देगा। जिन्हें किसी बीमारी जैसे ब्लड कैंसर, अस्थमा,फेफड़ा,किडनी से संबंधित बीमारी हैं। ऐसे बच्चों को यह बीमारी ज्यादा प्रभावित कर सकती है। इनका ज्यादा बचाव व तत्काल उपचार की व्यवस्था रखना पड़ेगा। किसी कारणवश दवा या उन्हें बाहर जाना पड़े तो मॉस्क व सामाजिक दूरी आदि नियमों का पालन करने के साथ ही समय-समय पर सैनिटाइजर का उपयोग भी करना पड़ेगा। इस परिस्थिति में बच्चों के साथ—साथ घर के सभी सदस्यों को इन बातों का मुख्यता से ध्यान रखना पड़ेगा कि अगर वह बाहर जाएंगे तो बाहर के वायरस को घर में आने से पूर्व सभी नियमों का पालन करके ही अंदर आए,नहीं तो ऐसे बीमार बच्चों में इसका इंफेक्शन फैलने का खतरा ज्यादा होता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित है कोविड का टीकाकरण : डॉ. संगीता Vaccination For Pregnant Women
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