रिपोर्ट:सुयश सिंह भदौरिया
फफूँद: दशहरे के समापन के साथ ही झेंझी-टेसू विवाह की तैयारियां शुरू हो गयी थी आज शरद पूर्णिमा के दिन झेंझी-टेसू विवाह का आयोजन होगा। आपको बता दें कि इस समय गली-गली झेंझी-टेसू विवाह के गीत गूँज रहे है,सालों से यह पारंपरिक खेल बालक-बालिकायें मिलकर खेलते रहे है,इस आयोजन में आने वाले खर्च को वह सब चंदे द्वारा व स्वयं के पैसे से पूरा करते है। साथ ही साथ बालिकायें एक बड़ा ही सुंदर गीत गाती है
“मेरी झेंझी को रचो है ब्याहो खर्च को रुपया देओ”
ऐसी मान्यता है की झेंझी-टेसू के विवाह के बाद ही घरों में शुभ कार्य शुरू होते है।
टेसू मेरा यहीं खड़ा,माँग रहा है दही बड़ा,टेसू अटर करैं-टेसू मटर करैं-टेसू लेई कै टरैं
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